एक भूल हो गयी थी .. उसी का प्रायश्चित कर रहा हूँ
हाँ पापा हैं, माँ है, दो बहने एक भाई भी .. पर मैं उन सब के लिए एक श्राप बन गया था
माँ रोती थी .. लड़के वाले मेरी बहनों से ज्यादा मेरे बारे में सवाल पूछते थे
बहनों ने भी अचानक कमरे तक चाय लाना छोड़ दिया था
पापा ने जायदाद में से अलग किया तो बुरा लगा पर बुरा नहीं भी लगा
अच्छा है .. वो सब खुश हैं अब .. भूल चुके होंगे मेरी भूल को ..
भाई को सब मुश्किलों के उपाए आते थे .. उसी ने समझाया कि संन्यास ले कर चला जा कहीं ..
यहाँ तेरे नवाबी शौक नहीं चलेंगे ..
तो मैं आ गया यहाँ .. हो गए .. करीब आठ साल हो गए ..
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