काजल से लिखे है मेरे ख़्वाबों ने कुछ ख़त उनके नाम ...
इन्हें डाकिये के हाथ भेजा तो खवाब रूठ जायेंगे
दुपट्टे में बाँध लिए है वक़्त के कुछ भीगे पल ...
इन्हें हाथों से छुआ तो ये सूख जायेंगे
चाँद को माथे से हटा के ज़रा आँखों में छुपा लूँ ...
रात के चोरों ने देखा तो चांदनी इसकी लूट जायेंगे
एक बारिश छुपा के तकिये में रख ली है ...
तेरे आने से पहले तेरे इंतज़ार में भीग जायेंगे
इस पल में मुस्कुरा के मरना ही मेरी ख्वाइश है शायद ...
इस मरने में ही कुछ पल जीना सीख जायेंगे
July 24, 2011
July 19, 2011
अदला बदली, कुछ यूँ भी
मौसम ए श्रृंगार की अदला बदली हो जाये कुछ यूँ करो सखी..
मैं तुम्हे रात का काला टीका लगा दूँ, तूम मुझे सूरज सी बिंदिया दे दो
महक उठे वक़्त के हर लम्हों में हम दोनो..
मैं तुम्हे खिलखिलाते फूलों का गजरा लगा दूँ, तुम मुझे चांदनी का इत्र दे दो
खनक उठे खुशियाँ हम दोनों की आवाज़ में..
मैं तुम्हे चूड़ियों सी हसीं दे दूँ, तुम मुझे पायल की झंकार दे दो
मैं तुम्हे रात का काला टीका लगा दूँ, तूम मुझे सूरज सी बिंदिया दे दो
महक उठे वक़्त के हर लम्हों में हम दोनो..
मैं तुम्हे खिलखिलाते फूलों का गजरा लगा दूँ, तुम मुझे चांदनी का इत्र दे दो
खनक उठे खुशियाँ हम दोनों की आवाज़ में..
मैं तुम्हे चूड़ियों सी हसीं दे दूँ, तुम मुझे पायल की झंकार दे दो
चलो यूँ हम रात दिन का याराना रख लें ऐ सखी..
मैं तुम्हे अपना सितारों वाला ख्वाब देती हूँ तुम बस मुझे वो अधुरा सपना दे दो
July 14, 2011
ओ आँतकवादी
सोचती हूँ जिस दिलेरी से तुमने वो बम्ब छुपाया होगा,
घर जाके वैसे ही बिटिया को निवाला खिलाया होगा,
कौनसा बाकी रह गया काम अधूरा,
घर से निकलने का बहाना माँ को क्या बताया होगा,
घर से निकलते हुए बच्चे ने पकड़ ली होंगी तेरी टाँगे,
उसे कौन सा खिलौना देकर पीछा छुड़वाया होगा,
गली से गुज़रते हुए कैसे दोस्त की आँख में झाँका होगा,
दोस्तों ने तो आज किसी फिल्म और रात को खाने पे बुलाया होगा,
मिठाई की दुकान के सामने उस भोली सी नाज़नीन से मिली थी आँखे,
उस नज़र का खुमार कैसे खुद पर से मिटाया होगा,
अब्बा ने बोला होगा आते हुए दादी की दवाई लेते आना,
आते वक्त क्या तुमने वो वादा निभाया होगा?
आसान नहीं था आज का काम मेरे भाई,
काम पूरा होते ही काँधा खुद का थपथपाया होगा,
अपने मालिक को खुशखबरी दी होगी वापिस आते हुए,
और रास्ते के शायद किसी मन्दिर, मस्जिद या गुरुदुआरे पे शीश निवाँया होगा,
घर पहुँचते नतीजा देखा होगा टीवी पे,
उस बच्चे की चीखें सुन थोड़ा तुझे भी तो रोना आया होगा
चलो खैर छोड़ो....... जाने दो
घर जाके वैसे ही बिटिया को निवाला खिलाया होगा,
कौनसा बाकी रह गया काम अधूरा,
घर से निकलने का बहाना माँ को क्या बताया होगा,
घर से निकलते हुए बच्चे ने पकड़ ली होंगी तेरी टाँगे,
उसे कौन सा खिलौना देकर पीछा छुड़वाया होगा,
गली से गुज़रते हुए कैसे दोस्त की आँख में झाँका होगा,
दोस्तों ने तो आज किसी फिल्म और रात को खाने पे बुलाया होगा,
मिठाई की दुकान के सामने उस भोली सी नाज़नीन से मिली थी आँखे,
उस नज़र का खुमार कैसे खुद पर से मिटाया होगा,
अब्बा ने बोला होगा आते हुए दादी की दवाई लेते आना,
आते वक्त क्या तुमने वो वादा निभाया होगा?
आसान नहीं था आज का काम मेरे भाई,
काम पूरा होते ही काँधा खुद का थपथपाया होगा,
अपने मालिक को खुशखबरी दी होगी वापिस आते हुए,
और रास्ते के शायद किसी मन्दिर, मस्जिद या गुरुदुआरे पे शीश निवाँया होगा,
घर पहुँचते नतीजा देखा होगा टीवी पे,
उस बच्चे की चीखें सुन थोड़ा तुझे भी तो रोना आया होगा
चलो खैर छोड़ो....... जाने दो