इसीलिए दूसरों की ख्वाइश अपना के दुआ मांगती हूँ
दुनिया में इतने गरीब देखे तो सोच में पड़ गयी /
किस्मतों को कैसे बांटा है उसने .. जवाब मांगती हूँ
एक एक चम्मच सबको खिलाना है मुझे /
ज़िन्दगी को जीतने का हौसला बेहिसाब मांगती हूँ
मैंने दे सकूँ सबको एक मुट्ठी भर आसमान /
जो पूरे होते हो वो ख्वाब मांगती हूँ
रंग बिरंगी से जी उचट गया हो मानो /
अब बस अमन और आमना का सफ़ेद गुलाब मांगती हूँ
एक एक चम्मच सबको खिलाना है मुझे /
ज़िन्दगी को जीतने का हौसला बेहिसाब मांगती हूँ
मैंने दे सकूँ सबको एक मुट्ठी भर आसमान /
जो पूरे होते हो वो ख्वाब मांगती हूँ
रंग बिरंगी से जी उचट गया हो मानो /
अब बस अमन और आमना का सफ़ेद गुलाब मांगती हूँ
Nice poetry .. really wonderful poems..
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