March 28, 2013

Sirf waqt hi to guzra hai..


सिर्फ वक़्त ही तो गुज़रा है हमारे बीच 
लम्हे वहीँ रखे हैं इंतज़ार में

दिन तो किसी तरह नक़द बिताया है
रात मिली है मगर उधार पे 

माना की तूने न वादा किया कभी 
उम्र सारी बीती है मगर श्रृंगार में 

किताबों में जो आसमान छिपा रखें है  
सूखे सूखे रहते है वो बरसात में

दिल के मकान की खिड़कियों में आज भी 
सहमा रहता है एक शहर तेरे प्यार में 

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