October 29, 2011

बात कुछ भी नहीं पर ...



बात कुछ भी नहीं पर अब बात नहीं होती ... 
रोज़ मिलते है पर मुलाक़ात नहीं होती

इधर उधर के शब्द होते है पर वो बात नहीं होती ...
तारीखें निकलती है पर दिन से रात नहीं होती 

ये बादल जो बिन पानी लिए तैरते है आसमान में ..
हमें तब भी भीगा जाते है जब बरसात नहीं होती

तन्हा रह गया वो समंदर का मोती ...
आस पास पानी है पर अब प्यास नहीं होती

मुझे देख के चाँद तारे भी चुप रहते है ...
इनसे मेरी कोई बात राज़ नहीं होती 

कुछ कहानियाँ जल के ख़तम हो जाती है ...
कुछ कहानियों की शुरुआत नहीं होती 

October 27, 2011

शब्दों की डांट




आज शब्द फिर मुझ पे झल्लाने लगे हैं
क्या फिर से वही लिखने को कहोगी 
वो पुरानी बात जिसके सर न पैर 
कुछ बेकार सा नाम दे कर रहोगी 

सिर्फ एक शाम का बहाना था 
रात तक उसे सिमट जाना था
तुम हर शाम उस शाम को समेटती आ रही हो
उस शाम का ढलना कब तक टालती रहोगी

कुछ भी तो नहीं कहा उसने 
हमने कितना ज़ोर दिया ज़रा पूछो हमसे 
दोनों चुपचाप चलते रहे कितनी देर 
उन क़दमों को कब तक सफ़र में संभालती रहोगी

उफ़, मुस्कुराना तो सब जानते है
लोग तो आजकल बेवजह भी मुस्कुराते है 
उसके खुश इख्लाक को इश्क समझ के
कब तक खवाबों के घोंसले बनाती रहोगी 

हमें माफ़ करो
हमसे ये अनकही बातें नहीं समझी जाती
ये आँखों के इज़हार ये बे जुबां इकरार 
हम नबीना हैं कब तक हम से मदद मांगती रहोगी 

उसका रास्ता यूँ निहारती रहोगी  
उस सांवरे के ख्वाब संवारती रहोगी
हम थक गयीं तुम्हे समझाते समझाते 
तुम कब तक उसे अपना मानती रहोगी

October 19, 2011

एक ठंडी आग


एक ठंडी आग की तरह स्याही बिखेरती थी उसकी कलम 
कागज़ बर्फ सा सिकुड़ जाता पर शब्द देर तक जलते रहे

ये कैसे अफ़साने थे आँखों में मौजूद 
आग के शोले भी पानी की तरह पलते रहे 

वो ठंडा चाँद इस ज़मीन से कोसों दूर  
उम्र भर उसकी चाहत में धीरे धीरे पिघलते रहे

क्या सच में जिस्म से जान जुदा कर देती है आग
एक सर्द सी रात में इस ख्याल से उलझते रहे

आखिरी चिंगारी



ये राख के ढेर पे जो आखिरी चिंगारी बाकी है
मेरी बस इतनी सी ही पहचान बाकी है

लफ्ज़ झुलस गए, धुंए में दिखती नहीं ख्वाइश 

इस राख में अब तलक मेरे आबशार बाकी है

दाग नहीं जलते दाग साथ निभाते है 
दिल दुखाने को यादों के ये जालसाज़ बाकी है

बाज़ नहीं आती अपनी साज़िश से ये रात की महफ़िल 
मेरी खिड़की में जलता हुआ रात का आफ़ताब बाकी है

मेरे बाद भी पहुँच जायेंगी मेरी दुआएं तुम तक 
इस राख में अब भी मेरी मोहब्बत की क़ायनात बाकी है