बात कुछ भी नहीं पर अब बात नहीं होती ...
रोज़ मिलते है पर मुलाक़ात नहीं होती
इधर उधर के शब्द होते है पर वो बात नहीं होती ...
तारीखें निकलती है पर दिन से रात नहीं होती
तारीखें निकलती है पर दिन से रात नहीं होती
ये बादल जो बिन पानी लिए तैरते है आसमान में ..
हमें तब भी भीगा जाते है जब बरसात नहीं होती
तन्हा रह गया वो समंदर का मोती ...
आस पास पानी है पर अब प्यास नहीं होती
मुझे देख के चाँद तारे भी चुप रहते है ...
इनसे मेरी कोई बात राज़ नहीं होती
कुछ कहानियाँ जल के ख़तम हो जाती है ...
कुछ कहानियों की शुरुआत नहीं होती