बात कुछ भी नहीं पर अब बात नहीं होती ...
रोज़ मिलते है पर मुलाक़ात नहीं होती
इधर उधर के शब्द होते है पर वो बात नहीं होती ...
तारीखें निकलती है पर दिन से रात नहीं होती
तारीखें निकलती है पर दिन से रात नहीं होती
ये बादल जो बिन पानी लिए तैरते है आसमान में ..
हमें तब भी भीगा जाते है जब बरसात नहीं होती
तन्हा रह गया वो समंदर का मोती ...
आस पास पानी है पर अब प्यास नहीं होती
मुझे देख के चाँद तारे भी चुप रहते है ...
इनसे मेरी कोई बात राज़ नहीं होती
कुछ कहानियाँ जल के ख़तम हो जाती है ...
कुछ कहानियों की शुरुआत नहीं होती
बहुत ही कशिश है आपकी कविताओ में ! एक अजीब से खलिश ....पता नहीं क्या !
ReplyDelete~आप का प्रिय पाठक~
OMG..
ReplyDeleteSuch complicated emotions.. yet so simple words...
Straight from heart!
Beautiful. :)
Awesome!!
ReplyDeleteतन्हा रह गया वो समंदर का मोती ...
आस पास पानी है पर अब प्यास नहीं होती
कुछ कहानियाँ जल के ख़तम हो जाती है ...
कुछ कहानियों की शुरुआत नहीं होती
Loved it.
कुछ कहानियाँ जल के ख़तम हो जाती है ...
ReplyDeleteकुछ कहानियों की शुरुआत नहीं होती
वही कहानियां कहलाती हैं जो हमेशा अमर रहती हैं
आजकल के संकीर्ण रिश्तों को बखूबी जताती आपकी पंक्तियाँ..
ReplyDeleteखूबसूरत..
beautiful :)
ReplyDeleteAtti Khubsurat. Maza Aagaya.
ReplyDeleteबात कुछ भी नहीं पर अब बात नहीं होती ...
ReplyDeleteरोज़ मिलते है पर मुलाक़ात नहीं होती
rocking
बात कुछ भी नहीं पर अब बात नहीं होती ...
ReplyDeleteरोज़ मिलते है पर मुलाक़ात नहीं होती
rocking
bahut khoob..:)
ReplyDeleteतन्हा रह गया वो समंदर का मोती ...
ReplyDeleteआस पास पानी है पर अब प्यास नहीं होती
........बहुत सही बात कही