December 6, 2011

हर ख्याल जैसे एक इबादत हो ..




ख्याल भी अब मुझे धोका देने लगे है ...
जिन में तुम नहीं होते वो ख्याल ज़ेहन से खोने लगे हैं

पहले तो तुम किसी ख्याल में सिमट आते थे ..
अब ख्याल तुम्हारे सदके होने लगे हैं

एक वक़्त था सोच की उड़ान भरा करती थी ..
अब ख्यालों के पंछी तुम्हारे पिंजरे में सोने लगे हैं

तेरे ख्यालों को हम साँसों की माला बना कर ..
तेरी ज़िन्दगी में खुद को पिरोने लगे हैं

हर एक ख्याल तेरे नूर से रोशन हुआ है ..
हर ख्याल के कतरे में हम तेरे होने लगे हैं

एक नज़र जो तेरी इन ख्यालों पे पड़ जाए ऐ सनम ..
तेरे हिस्से के इज़हार अब अजनबियों से होने लगे हैं

ख्याल ख्याल संवर चूका है तेरे नाम से ..
ख्याल अब तेरी इबादत होने लगे हैं

6 comments:

  1. क्या खूब लिखा है....


    एक नज़र जो तेरी इन ख्यालों पे पड़ जाए ऐ सनम ..
    तेरे हिस्से के इज़हार अब अजनबियों से होने लगे हैं


    ....बहुत खूब !

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  2. एक नज़र जो तेरी इन ख्यालों पे पड़ जाए ऐ सनम तेरे हिस्से के इज़हार अब अजनबियों से होने लगे हैं

    वाह! बहुत खूबसूरत जज्बात उकेरे हैं आपने.
    आभार.

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  3. ख्याल अब तेरी इबादत होने लगे हैं

    waah!

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  4. tareef ka koi bhi khyal bauna saabit hoga iske liye :)

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  5. ख्याल ख्याल संवर चूका है तेरे नाम से ..
    ख्याल अब तेरी इबादत होने लगे हैं
    क्या बात है ....!
    बहुत बढ़िया लाइने हैं यह ! शुभकामनायें आपको !!

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