October 24, 2015

तेरी आदत से पहले ..



मैंने खुद को आबाद रखा है बर्बादियों से .. 
तेरी आदत से पहले मुझे आवारगी की आदत थी ..

मुझ को यकीन हो चुका था तेरी दीवानगी पर ..
क्या मालूम था ये सिर्फ जज़्बों की तिजारत थी ..

जब भी तूने रूखे से दिल को तोड़ने की बात की  ..
मुझ को क्यों लगा की वो तेरी शरारत थी  ..

वो मेरे पास रहता था और मेरी आवाज़ सुनता था  ..
मुझ को खबर ही न हुई ये इक वक्ती इनायत थी  ..

2 comments: