गुरनाम,
कितने साल के हो तुम
इतनी उम्र कहाँ पायी तुमने .. अपने छबीस सालों में
तैरना जानते हो फिर कैसे डूब जाते हो
एक ही पल में धरती आसमान पाताल कैसे घूम आते हो
दूसरों के दर्द से अपने दर्द तक का रास्ता .. कुछ टेढ़ा है मगर
ये सफ़र सीखा तुमने ..
क्योंकि हर मंज़र पे ठहर जाते हो
क्योंकि हर मंज़र पे ठहर जाते हो
हर बार सोचती हूँ बस यही तुम्हारी बेहतरीन कविता है ..
पर हर बार कुछ नया अदभुत लिख जाते हो
अपनी कलम में शायद तिलिस्म स्याही डालते हो
अनाम कल्पना में बह कर जीवन सत्य से अवगत कराते हो
अब कौन हो तुम ... खुद ही परिचय दे दो
तुमको जितना जान पाती हूँ तुम उससे भी गहरा जाते हो
एक अनजाना रास्ता हो ..
हर बार नयी मंजिल की और बढ़ जाते हो
जानती हूँ अच्छी तरह कि तुम्हे नहीं जान पाऊँगी
इतनी उम्र कहाँ पायी तुमने अपने छबीस सालों में ..
सिर्फ अपनी सोच के बलबूते पर
एक पुरानी कोशिश दोहराते हो या एक नयी सदी की नींव रख जाते हो
5 comments:
Wow Anu di... wonderful. And it's all true. I mean I know at least about his poems. The poems are really wonderful :)
And I am glad that I am currently staying in Gurgaon only.. Hope I will get to know him closely :)
i am speechless here....
sachi..
i don't have even a single word to thank you, or comment on this..
reaction of a friend:
"wow
actually so good
and pta she writes better dan u
truly
its fully emotined yet maturly written
10/10"
Feels so Great for GSS... This is an amazing Poem by Anuradha Sharma... God bless her ! WOW.. even i have no words... GSS u really deserve it bro...
Wow.. Great one... !!
Lucky GSS..!! ;)
Bhawnaon ko shabdon me pirona koi aap se seekhe!! :)
U r Amazing!!
Post a Comment