दिन महीने साल गुज़रते जाते हैं ..
एक गुज़रा हुआ वक़्त है जो गुज़रता नहीं
दूर जा कर भी मुझसे तू दूर नहीं जाता ..
तेरी यादों का काफिला चलता तो है पर आगे बढ़ता नहीं ..
दामन में छुपाया हमने एक रेत का महल ..
समंदर के कुनकुने पानी से भी ये ढलता नहीं
दिल में हमने अपने ग़म के पहरेदार बिठाए है..
तेरी मोहब्बत का कोहिनूर अब हमसे संभालता नहीं
कल पुरानी डायरी के पिछले पन्ने पर
कुछ लफ्ज़ मिले ..
तुमसे मिलते जुलते ..
जाने कब बिखरी थी यहाँ तेरी यादों की स्याही
अब दिल तेरा नाम लेता भी है तो बेवजह कहीं लिखता नहीं
अब दिल तेरा नाम लेता भी है तो बेवजह कहीं लिखता नहीं
2 comments:
waah.... bahut khoob...
Loved every bit of it!
Post a Comment