मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है ..
हो सके तो उसे अपने पास ही रख लेना
एक घूंघट की शर्म जो शायद दरवाज़े के पीछे टंगी है ..
उसे बिस्तर के एक किनारे पर रख देना
एक पायल यहीं कहीं गुम गयी थी चलते चलते ..
मिले तो अपने क़दमों के पास पास रख लेना
मेरे माथे का चाँद, अलसाया से मेज पे ऊँघता होगा ..
उसे .. सुनो ..
उसे तुम अपनी दिल के आसमान पे टांग लेना
कुछ खुले हुए सिरे है मेरे उलटे सीधे सवालों के ..
उन्हें अपनी अनकही के धागों में बाँध लेना
एक बारिश होगी खिडकी पे भीगने को डाली थी ..
ठण्ड न लग जाए कहीं,
उन्हें अपनी अनकही के धागों में बाँध लेना
एक पिघला सा ख्वाब होगा कांच की कटोरी में ..
उसे अपने आईने में कही पलक पलक छुपा लेना
उसे अपने आईने में कही पलक पलक छुपा लेना
कुछ सितारे जो उंगलियों से छुए तो जुगनू बन गए ..
उन्हें छत पे जा कर हवाओं पे सजा देना
उन्हें छत पे जा कर हवाओं पे सजा देना
एक बारिश होगी खिडकी पे भीगने को डाली थी ..
ठण्ड न लग जाए कहीं,
तुम बारिश उतार कर, मेरा पीला वाला दुपट्टा ओढा देना
दराज़ मैं एक खत होगा, प्यासे लफ्जों में सूखता हुआ ..
उसे अपनी गीली मुस्कान से एक बार फिर सींच देना
उसे अपनी गीली मुस्कान से एक बार फिर सींच देना
एक चाय का कप जो बिस्तर की साइड नीचे पड़ा मिलेगा ..
उस पर से मेरे होठों के निशाँ उतार के अलमारी में रख देना
वो सुनहरी शाम जो मेरी बालियों में अटकी पड़ी है ..
उसकी कशिश, संभाल के उतारना.. यूँ कमरे में बिखरने मत देना
एक गुल्लक जिसमे हमारी बातों की अशर्फिया डाला करती थी ..
मैं नहीं हूँ तो भी तुम उसे भरते रहना
तकिये के नीचे हर रात एक मुस्कान छुपाया करती थी ..
अब भी हंस रही होंगी, तुम उन्हें अपने होठो पे रख लेना
वो करवटों की जन्नत, जहाँ हम तुम मिला करते थे ..
तुम्हे मिल जाए, तो उसे वापिस अपनी दुआओं में रख लेना
उस पर से मेरे होठों के निशाँ उतार के अलमारी में रख देना
वो सुनहरी शाम जो मेरी बालियों में अटकी पड़ी है ..
उसकी कशिश, संभाल के उतारना.. यूँ कमरे में बिखरने मत देना
एक गुल्लक जिसमे हमारी बातों की अशर्फिया डाला करती थी ..
मैं नहीं हूँ तो भी तुम उसे भरते रहना
तकिये के नीचे हर रात एक मुस्कान छुपाया करती थी ..
अब भी हंस रही होंगी, तुम उन्हें अपने होठो पे रख लेना
वो करवटों की जन्नत, जहाँ हम तुम मिला करते थे ..
तुम्हे मिल जाए, तो उसे वापिस अपनी दुआओं में रख लेना
14 comments:
Lovely poem.
Your simple yet poetic words are inspiration for many.
Often wonders how you pour thoughts into still life and objects.
For example,
Kaan ki baali, chai ka cup , Kamre ki mez ...
Keep writing,I liked it very much :)
Beautiful weaving of thoughts and words...
Loved this.... एक बारिश होगी खिडकी पे भीगने को डाली थी ..
ठण्ड न लग जाए कहीं,
mera kuch saaman by gulzaar....par ye us se bhi behtar lagi ...
feeling behind creating a ripple through set of words need some base of mutual deep relation...n i think writer is deeply into a admiration of that relation...n still missing it...
so great to see such love mind...great writing..
My lady gulzar :)
This
एक चाय का कप जो बिस्तर की साइड नीचे पड़ा मिलेगा ..
उस पर से मेरे होठों के निशाँ उतार के अलमारी में रख देना
is AWESOME! Superlike!
ye jo cheejen hain
tere mere dil se judi
sisakati huyi teri yad me ;
dub jaunga mai
inhike ansuon me......
kyun tu gaya
hame chhod ke
in majaron ke shahar me.....
I was unable to keep it from expressing.
Sorry!
uff kya kaun shabd nahi mere pass taareef ke liye ....
SKB Ko Padhti Hu Mai Itni Shiddat Se Aaj Kal//Dar Hai Mujhe Dhundli Dhundli Si Ikk Shakhsiyat Ban K Na Reh Jaaun Mai Kahin...
Amazing !! aaj shayad 5th time padh rahi hoon !
Wonderful. Loved it...
लफ्ज़ नही है। बहुत प्यारी।
Good
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