October 24, 2015

तेरी आदत से पहले ..



मैंने खुद को आबाद रखा है बर्बादियों से .. 
तेरी आदत से पहले मुझे आवारगी की आदत थी ..

मुझ को यकीन हो चुका था तेरी दीवानगी पर ..
क्या मालूम था ये सिर्फ जज़्बों की तिजारत थी ..

जब भी तूने रूखे से दिल को तोड़ने की बात की  ..
मुझ को क्यों लगा की वो तेरी शरारत थी  ..

वो मेरे पास रहता था और मेरी आवाज़ सुनता था  ..
मुझ को खबर ही न हुई ये इक वक्ती इनायत थी  ..

तुम्हारे छूने तक..


पेंटिंग बाय : जॉन फेर्नान्देस

तुम पूछोगे मुझे याद करती हो..
मैं जवाब में चुप रहूँगी..
तुम पूछोगे चाँद उतरता है..
मैं चुपके से आसमां तकूँगी..


हमारी कहानी जब तुम पानी में बहा दोगे..
मैं झीलों में ख़ुद को डुबाया करूँगी ..

तुम मेरे ख़त को हवाओं पर ख़र्च करोगे..
मैं कोयल बन कर उन लफ़्ज़ों को फिर से सहेज लूँगी..

जब शाम के मुसाफ़िर तुम्हारा नाम गुनगुनाते चलेंगे..
मैं गुनगुने बादलों से देर तक तुम्हारी बातें करूँगी ..

ज़मीं पर जहाँ मोहब्बत के तारे उतरते हैं..
तुम्हारी यादों का मैं भी सजदा करूँगी..

ये सच है की जिस्म ये ठंडा हो चुका है..
तुम्हारे छूने तक.. जाना, मैं ज़िन्दा रहूँगी..