बचपन
में .. जब भी बाबा के कमरे से वायलिन की आवाज़ आती तो अम्मा फटाक से खुद को रसोई
में बंद कर लेती .. सब बच्चों को अपने कमरों में रहने की हिदायत दी जाती ..
रात
भर वायलिन बजता और हम बच्चे तरह तरह के अर्थ निकालते निकालते सो जाते .. अगले दिन
सब नार्मल हो जाता ..
बाबा
के गुजरने के बाद उनका संदूक खोला गया तो एक वायलिन, गुलाबी ज़री की साडी, वाइन का
एक गिलास,
सूखे गुलाब और एक तस्वीर मिली ..
वो
ज़री की साडी और वो तस्वीर अम्मा की न थी ..