आज फिर टूटे है दिल के आइने तमाम,
आज फिर कुछ अजनबी हुआ है मुझ में !
आज फिर मिट गए मेरी किताब के लफ्ज़ सभी ,
आज फिर रिवाजों से लड़ कर आई हूँ मैं ,
आज फिर कुछ खानदानी हुआ है मुझ में !
आज फिर खुद को धोखे से मनाया है,
आज फिर कुछ बेईमानी हुआ है मुझ में !
आज फिर लफ्जों को वक्त के पालने में रख आई,
आज फिर कुछ गुमनामी हुआ है मुझ में !
आज फिर बेतरतीब ख्वाब आखों से निचोड़े हैं,
आज फिर कुछ अजनबी हुआ है मुझ में !
आज फिर मिट गए मेरी किताब के लफ्ज़ सभी ,
आज फिर कुछ पानी हुआ है मुझ मे !
आज फिर बारिश में भीगता नहीं ये मन ,
आज फिर कुछ बेमानी हुआ है मुझ में !
आज फिर बारिश में भीगता नहीं ये मन ,
आज फिर कुछ बेमानी हुआ है मुझ में !
आज फिर रिवाजों से लड़ कर आई हूँ मैं ,
आज फिर कुछ खानदानी हुआ है मुझ में !
आज फिर खुद को धोखे से मनाया है,
आज फिर कुछ बेईमानी हुआ है मुझ में !
आज फिर लफ्जों को वक्त के पालने में रख आई,
आज फिर कुछ गुमनामी हुआ है मुझ में !
आज फिर बेतरतीब ख्वाब आखों से निचोड़े हैं,
आज फिर कुछ अधूरी कहानी सा हुआ है मुझ में !
आज खुद को जिंदगी से दौड लगाते देखा ,
आज फिर कुछ मेरा ही सानी हुआ है मुझ में !
आज फिर तय है की आंखों से नहीं बहने दूंगी आँसू,
आज फिर कोई जिद्द ठानी हुई है मुझे में !
आज फिर कतरा कतरा तन्हाई पी ली हमने,
आज फिर कुछ खाली हुआ है मुझ में !
आज खुद को जिंदगी से दौड लगाते देखा ,
आज फिर कुछ मेरा ही सानी हुआ है मुझ में !
आज फिर तय है की आंखों से नहीं बहने दूंगी आँसू,
आज फिर कोई जिद्द ठानी हुई है मुझे में !
आज फिर कतरा कतरा तन्हाई पी ली हमने,
आज फिर कुछ खाली हुआ है मुझ में !
2 comments:
A world class piece of work.. world class! A real 'state of art' presentation of poetic talent and emotions. Kya likhti ho Anu. So proud of you.. You are the BEST!
you r best one of my fav poem ....
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