काजल से लिखे है मेरे ख़्वाबों ने कुछ ख़त उनके नाम ...
इन्हें डाकिये के हाथ भेजा तो खवाब रूठ जायेंगे
दुपट्टे में बाँध लिए है वक़्त के कुछ भीगे पल ...
इन्हें हाथों से छुआ तो ये सूख जायेंगे
चाँद को माथे से हटा के ज़रा आँखों में छुपा लूँ ...
रात के चोरों ने देखा तो चांदनी इसकी लूट जायेंगे
एक बारिश छुपा के तकिये में रख ली है ...
तेरे आने से पहले तेरे इंतज़ार में भीग जायेंगे
इस पल में मुस्कुरा के मरना ही मेरी ख्वाइश है शायद ...
इस मरने में ही कुछ पल जीना सीख जायेंगे
3 comments:
एक बारिश छुपा के तकिये में रख ली है ...
तेरे आने से पहले तेरे इंतज़ार में भीग जायेंगे ... kuch bunden takiye me rah jayengi
contaci me at rasprabha@gmail.com
अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार
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