September 14, 2011

हिंदी का महत्व

मैं कैसी कवयित्री हूँ ..
नहीं जानती थी कि आज हिन्दी दिवस है
नहीं जानती थी कि आज हिन्दी हिन्दी खेलना है

क्या हिन्दी को एक दिन में मनाया जा सकेगा

मैं कैसे मनाऊं ये दिवस
आज हिन्दी साहित्य के नाम का केक काट लूं या
हिन्दी कविताओं का गुलदस्ता बना मेज़ पे सजा लूं

और कहाँ मनाऊं ये दिवस
परदेस में कौन सुनेगा मेरा हिन्दी प्रेम
और दिल्ली अभी भी दूर है दोस्तों

पर मैं क्यूँ मनाऊं ये दिवस
क्यूँ दूँ श्रद्धांजलि उस भाषा को
जो अमर है मुझमें
कितने ही अनुभव लिए

अब अपनी मातृभाषा से प्रेम करना कैसे सीखूं

बचपन की हर याद में हिन्दी है
चाचा चौधरी का मज़ा आर्चिज़ कॉमिक्स में कहाँ मिल पाया
हिंदी न हो तो शिवानी जिज्जी को कैसे याद करूँ
कैसे प्रेमचंद की 'निर्मला' को अंग्रेजी में अनुवाद करूँ

पापा की हर डांट हिन्दी में थी
वैसे दादी पंजाबी है पर वो भी गुस्से में हिन्दी ही बोलती थी
लेकिन माँ ने पुचकार लिया ...
"बिटिया" कह के मना लिया

हिंदी के कितने ही निबंध लिखवाए मुझसे मेरी छोटी बहना ने
हिंदी की थी भाई की वो पहली गाली जिसपे उसे मार पड़ी
पापा परदेस जाने लगे तो उनके बैग में छुपाया एक पत्र
गुडिया चाहे न लाना ... पापा जल्दी आ जाना
हाँ .. हिंदी में 

हिंदी प्रेम इसलिए नहीं क्योंकि पढ़नी चाहिए
हिंदी प्रेम इसलिए क्यूँकि .. ये अपनी है

यूँ तो अंग्रेजी में बहुत गिटपिट आती है मुझे
पर अपनी भावनाओं को हिन्दी में ही व्यक्त कर पाती हूँ मैं
क्यूँकि इसी में बह पाती हूँ मैं

और सुन लो सब.. डर नहीं है मुझे
हिन्दी के जैसे ही मुझमें भी मिलावट है
थोड़ी उर्दू, बंगला, पंजाबी भी है
क्यूँ करूँ मैं भाषा का सम्बन्ध विच्छेद

हिन्दी में कितनी भाषाओं का समावेश है
राष्ट्रीय भाषा है .. धर्मंनिरपेक्ष भाषा है
हिन्दी गवर्नमेंट स्कूल की भाषा नहीं
मेरी भाषा है .. हम सबकी भाषा है

माँ कहती है मेरा पहला शब्द हिन्दी में था
माँ ...
मेरा अंतिम शब्द मैं कहती हूँ
... साईं

9 comments:

rahul bhomia said...

आपका पोस्ट पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा. एक करारा कटाक्ष किया है आपने उन सभी लोगों को जो अपनी राष्ट्रभाषा को भूल कर अंधों की तरह अंग्रेजी के दीवाने बनते जा रहे हैं. मैं यह नहीं कहता के अंग्रेजी कोई बुरी भाषा है या मुझे अंग्रेजी के उपयोग पर नीजी तौर पर कोई आपत्ति है, क्यूँ की कोई भी भाषा अपने आप में ही बहुत महान होती है. उसे आपके या मेरे जैसे किसी व्यक्ति के सहानुभूति की कोई आवश्यकता नहीं होती. पर मुझे दुःख होता है जब मेरे देश के लोग हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हैं. मैं कहता हूँ के कम से कम हिंदी का सम्मान नहीं कर सकते तो उसका अपमान भी मत कीजिये. पता नहीं मैं आपके पोस्ट पर कमेन्ट करने के काबिल हूँ या नहीं, या शायद आपके मुकाबले कुछ क्षीण स्टार का हूँ, पर मुझे आपका पोस्ट अच्छा लगा और भीतरी तौर पर एक आवाज़ आई के अपने विचार साझा करून. धन्यवाद.


एक आपकी ही तरह का हिंदी प्रेमी.

himanshu said...

bahut hi shaandar abhivyakti hai.aur sahi kaha aapne hindi toh amar hai...kya humein chacha chaudhary ki comics jaisa maza archies mein mila tha...nahii..hindi mahantam bhaasa hai,aur humein garv hai ki humne hindi ke mahol mein saans li hai....bahut hi shaandar abhivyakti hai.aur sahi kaha aapne hindi toh amar hai...kya humein chacha chaudhary ki comics jaisa maza archies mein mila tha...nahii..hindi mahantam bhaasa hai,aur humein garv hai ki humne hindi ke mahol mein saans li hai....

Unknown said...

its awesome...:) simply superb.. loved it.. :)

shubhansh said...

"Kyun dun shradhanjali us bhaasha ko
jo amar hai mujhme kitne anubhav liye"............awesome lines....grt work.

Geet said...

bahut umda!!

Pratik Maheshwari said...

बहुत खूब लिखा है आपने हिन्दी के बारे में.. काश बाकी कई लोग जिनकी मातृभाषा हिन्दी है, वो भी ऐसा ही सोचें...

Preanca said...

Anu, I just jumped back to my days when I used to speak only Hindi and knew no other language existed other than Hindi and Punjabi... So toched by ur lines. Thanks for taking me on the tour of childhood.... and glad that we all have Love for Hindi in our heart, be it anywhere..Pardes!! SuperLikes :)

Ranjana said...

सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए :)....एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाए...!!!

Shiraz Hassan said...

very beautifully narrated..