कहानी लिखने बैठूंगी तो सुबह से शाम हो जायेगी.. आपके पास भी कहाँ वक़्त होगा ..
जब तक भारत में थी .. हिंदी उर्दू से कुछ खासा लगाव न था .. स्कूल और घर पर भी ज्यादा जोर अंग्रेजी बोलने पे दिया था .. मगर विदेश में आ कर लगा जैसे अन्दर से कस्तूरी सूख गयी हो .. ऐसी जुबां का भी क्या करना जिस पे मात्रभाषा का एक भी बोल न हो .. सारा दिन अंग्रेजी में गितपिटाने के बाद लगता कोई तो हिंदी की शिकंजवी , पंजाबी की लस्सी या फिर उर्दू का शरबत पिला दे .
ये २०११ की बात है .. Twitter पर आ कर पहली बार शायरी / कविताई की .. चाँद बारिश और गरीब का बच्चा पर लगे चिपकाने .. जो पसंद की जाने लगी .. फोलोवेर्स बढ़ गए .. हम तो रातोरात फेमअसइया गए .. खुद पर डुल गए .. और इन्ही में से किसी फलां फलां शायरी ने पहुंचा दिया मुझे #shair के पास.. या यूँ कह लीजिये राणा आपा के पास..
हाँ ये #shair और राणा आपा पर्यायवाची शब्द हैं ..
#shair ग्रुप से खूब मिली .. ग्रुप का फॉर्मेट था की भारत और पाकिस्तान के प्रसिद्ध लेखक कवि शायर के काम को लिखना, पढना, शेयर करना .. अब तो आये दिन ग़ालिब गुलज़ार से मुलाकात होने लगी .. और फिर ये हुआ की हम लाइन पे आ गए .. सबसे पहले तो ये पता लगा की .. भैया जो हम लिख रहे हैं.. उ कौनो काम का नहीं है .. अपनी तथाकथित कविताई पे शर्म आई और हमने उसे पैर से यूँ अलमारी के पीछे खिसका दिया ..
और चार पांच महीने हमने सिर्फ #shair को पढ़ा .. और सीखने के कोशिश की उन महान आत्माओं से जो कितने तिलस्मी और खूबसूरत तरीके से सच का व्याखान करते थे, करते आ रहे हैं .. आदम गोंडवी को पढ़ के मुंह खुला रह जाता, मुन्नवर राणा को पढ़ के अक्ल और आंसू दोनों आ जाते .. और परवीन शाकिर को पढ़ कर रुदाली वाला रोना .. निदा फाजली से सीखा जीना का जज्बा .. अहमद फ़राज़ और फैज़ से मोहब्बत को अलग अलग तरह महसूस करना और बयान करना ..
गुलज़ार मेरे सबसे पसंदीदा शायर थे लेकिन #shair के ज़रिये मैंने उनकी वो कविताएं पढ़ी जो एक NRI को आसानी के उपलब्ध नहीं है .. गुलज़ार मेरे और भी पसंदीदा हो गए .. गुरु हो गए.. कभी सोचती हूँ उनको चिट्ठी लिखूं .. फिर सोचती हूँ .. वो जो खुद ही अलौकिक खतों का पुलिंदा है .. उसे मेरा आधा अधुरा ख़त पता नहीं मिले भी या नहीं .. खैर ..
और फिर यूँही ... ऐसे ही मैंने दोबारा लिखना शुरू किया .. कुछ रूहानी कहानियाँ निकल के आने लगी .. खुद को पढना आया .. एक ठहराव आया खुद में .. सदियों से बंद चिरागों में से निकले जादुई चाँद, बूंद बूंद समंदर .. और रोशनाई बारिश के सूफियाना रक्स .. और देखो न .. मैं अब तक नाचती आ रही हूँ ..
#shair से पहचान मिली .. हौसला अफजाई मिली .. आपा मिली जो की खुद में एक institution हैं .. ये शख्सियत करोड़ों में एक है .. और दोस्त मिले (कुहू, राणा आपा, मिथिलेश, जुनैद जुनी, नदीम naddy, गायत्री जिज्जी, अरुणा जी, आबिद सर, रूबी, शेज़ी भाई, गौरव वड्डे वीर जी, उस्मान वीरा, ताहिर अम्मू और बेस्ट फ्रेंड इन्दर ) ..
और मिला रूहानी बूता .. कि चाँद के नूर और बारिश के लम्स को लफ़्ज़ों में समेट सकने की असाध्य कोशिश कर सकती हूँ .. और उस गरीब के बच्चे के गाल पर चिकोटी काट के अपने लिए दो पल की हंसी खरीद सकती हूँ ..
#shair को 6th सालगिरह मुबारक और हमको #shair मुबारक ..
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अनुराधा शर्मा