ये राख के ढेर पे जो आखिरी चिंगारी बाकी है
मेरी बस इतनी सी ही पहचान बाकी है
लफ्ज़ झुलस गए, धुंए में दिखती नहीं ख्वाइश
इस राख में अब तलक मेरे आबशार बाकी है
दाग नहीं जलते दाग साथ निभाते है
दाग नहीं जलते दाग साथ निभाते है
दिल दुखाने को यादों के ये जालसाज़ बाकी है
बाज़ नहीं आती अपनी साज़िश से ये रात की महफ़िल
बाज़ नहीं आती अपनी साज़िश से ये रात की महफ़िल
मेरी खिड़की में जलता हुआ रात का आफ़ताब बाकी है
मेरे बाद भी पहुँच जायेंगी मेरी दुआएं तुम तक
मेरे बाद भी पहुँच जायेंगी मेरी दुआएं तुम तक
इस राख में अब भी मेरी मोहब्बत की क़ायनात बाकी है
2 comments:
jhalak hai ye SKB ki jadugari ki,
dekho aage kya kya chamatkar abhi baki hain.
awsm :)
your level going up and up day by day... wow :)
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