अच्छा है हम और तुम बात नहीं करते..
एक दूसरे पर ख़ाली जज़्बात नहीं करते ..
दिन भर करते हैं चाँद का इंतज़ार ..
ताकते हैं आसमान मगर रात नहीं करते..
शहर के शहर बिछाते हैं बातों से अपनी..
क्या सोचकर तुम से मुलाक़ात नहीं करते..
सुलगते रहते है नमकीन बादल आँखों में..
हम आँखों से फिर भी बरसात नहीं करते..
कई क़िस्सों में बँटी है कहानी मगर..
ये क़िस्से ख़ुद से शुरुआत नहीं करते ..
दोस्त आएँ हैं आज बज़्म में हमारी..
हम ग़ज़लों को यूँही आज़ाद नहीं करते ..
© अनुराधा शर्मा
8 comments:
वाह!!!
Behtreen !
दिल की गहराई से
wah wah kya baat hai.gazab
वाह वाह कमाल..बाकमाल👌
वाह वाह कमाल..बाकमाल👌
Waahhh
Bhahut khub
👌
sundar :)
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