October 12, 2016

अच्छा है हम और तुम



अच्छा है हम और तुम बात नहीं करते..
एक दूसरे पर ख़ाली जज़्बात नहीं करते ..

दिन भर करते हैं चाँद का इंतज़ार ..
ताकते हैं आसमान मगर रात नहीं करते..

शहर के शहर बिछाते हैं बातों से अपनी..
क्या सोचकर तुम से मुलाक़ात नहीं करते..

सुलगते रहते है नमकीन बादल आँखों में..
हम आँखों से फिर भी बरसात नहीं करते..

कई क़िस्सों में बँटी है कहानी मगर..
ये क़िस्से ख़ुद से शुरुआत नहीं करते ..

दोस्त आएँ हैं आज बज़्म में हमारी..
हम ग़ज़लों को यूँही आज़ाद नहीं करते ..

© अनुराधा शर्मा

8 comments:

Rashmi Mishra said...

वाह!!!

MiJa said...

Behtreen !

Archana Aggarwal said...

दिल की गहराई से

मुसाफिर.... said...

wah wah kya baat hai.gazab

Uzzwal tiwari said...

वाह वाह कमाल..बाकमाल👌

Uzzwal tiwari said...

वाह वाह कमाल..बाकमाल👌

Dr. Manoj Bhama said...

Waahhh
Bhahut khub
👌

Vidisha Barwal said...

sundar :)